Saraswati Puja 2022 Shayaris, photos, images, wallpapers
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Saraswati Puja 2022 Shayaris, photos, images, wallpapers
की पूजा कैसे की जाती है। मां शारदे की असीम कृपा से इस आर्टिकल में हम आप लोगों के लिए विशेष प्रकार के इमेजओं पर मां शारदे की शायरी लिखी हुई और मां सरस्वती की फोटो। जो कि आप इंटरनेट पर ढूंढते हैं। इस आर्टिकल में बेहतरीन तरीके से मां सरस्वती की इमेज शायरी, वंदना, फोटो पर लिखी होंगी। जिसे कि आप अपने दोस्तों के साथ।
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मां सरस्वती की शायरी। दोस्तों हमारी इस आर्टिकल को पढ़िए और अपने दोस्तों के साथ शेयर कीजिए। और अपनी जरूरत के हिसाब से आपको जो भी तस्वीरें चाहिए। और जो भी इमेज शायरी चाहिए मां सरस्वती से रिलेटेड वह आपको इस आर्टिकल में मिल जाएंगे।
- वसंत पंचमी शायरी
- बसंत पंचमी फोटो
- बसंत पंचमी इमेज
- बसंत पंचमी वॉलपेपर
- सरस्वती पूजा कथा
- सरस्वती पूजा का महत्व
- सरस्वती पूजा जन्मदिवस
- सरस्वती पूजा की पौराणिक कथाएं
- सरस्वती पूजा का ऐतिहासिक महत्व
- मां शारदे मां सरस्वती की पूजा कैसे की जाती है
- वसंत पंचमी शायरी
1. सरस्वती पूजा का प्यारा त्योहारजीवन में लाएगा खुशी अपारसरस्वती विराजे आपके घरशुभ कामना हमारी करें स्वीकारबसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
2. फूलों की वर्षा,शरद की फुहार,सूरज की किरणे,खुशियों की बहारमुबारक हो आप सबको,बसंत पंचमी का त्योहार3. बहारों में बहार बसंतमीठा मौसम मीठी उमंगरंग बिरंगी उड़ती आकाश में पतंगतुम साथ हो तो है इस ज़िंदगी का और ही रंगHappy Basant Panchami4. बुद्धि विद्या देहु मोहिसुनहु सरस्वती मातुराम सागर अधम कोआश्रय तू ही देदातुआप सब को बसंत पंचमी की बधाईHappy Basant Panchami5. वीणा लेकर हाथ में, सरस्वती हो आपके साथ मेंमिले मां का आशीर्वाद आपको, हर दिन, हर वारहो मुबारक आपको बसंत पंचमी का त्यौहारबसंत पंचमी की शुभकामनाएं...!6. जीवन का यह बसंत, आप सबको खुशियां दे अनंतप्रेम और उत्साह का, भर दे जीवन में रंगबसंत पंचमी की बधाई...!7. मौसम की नजाकत हैहसरतों ने पुकारा हैकैसे कहे की कितना याद करते हैयह संदेश उसी याद का एक इशारा हैपीले-पीले सरसों के फूल, पीली उड़ी पतंगरंग बरसे पीले और छाए सरसों की उमंगजीवन में आपके रहे हमेशा बसंत के ये रंगआपके जीवन में बनी रहे खुशियों की तरंगHappy Basant Panchami8. उमंग दिल में और आँखों में है प्यारखुशियाँ लेकर आया बसंत का त्योंहारशरद की फुहार, किरणें सूरज कीहो शुभकामना आपको बसंत कीबसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं9. लो फिर बसंत आई, फूलों पे रंग है लाईबज रहे हैं जल तरंग, दिल पे उमंग है छाईखुशियों को लेकर संग है आईलो फिर बसंत है आईHappy Basant Panchami10. आई बसंत और खुशियाँ लायीकोयल गाती मधुर गीत प्यार केचारों और जैसे सुगंध छाईफूल अनेकों महके बसंत केबसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं11. सर्दी को तुम दे दो विदाई, बसंत की अब ऋतु है आईफूलों से खुशबू लेकर महकती हवा है आईबागों में बहार है आई, भंवरों की गुंजन है लाईउड़ रही है पतंग हवा में जैसे तितली यौवन में आईदेखो अब बसंत है आईHappy Basant Panchami12. सहस शील हृदय में भर देजीवन त्याग से भर देसंयम सत्य स्नेह का वर देमाँ सरस्वती आपके जीवन में उल्लास भर देबसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं13. जीवन का यह बसंत, आप सबको खुशियां दे अनंत,प्रेम और उत्साह का, भर दे जीवन में रंग,बसंत पंचमी की बधाई...!14. सरस्वती पूजा का ये प्यारा त्योहार,जीवन में लाएगा खुशियां अपारसरस्वती विराजे आपके द्वार,शुभकामना हमारी करें स्वीकार...वसंत पंचमी की शुभकामनाएं15. वीणा लेकर हाथ में,सरस्वती हो आपके साथ में,मिले मां का आशीर्वाद आपकोहर दिन, हर वार,हो मुबारक आपकोवसंत पंचमी का त्योहार...16. सरस्वती को तुम दे दो विदाई, बसंत की अब ऋतु है आईफूलों से खुशबू लेकर महकती हवा है आईबागों में बहार है आई, भंवरों की गुंजन है लाईउड़ रही है पतंग हवा में जैसे तितली यौवन में आईदेखो अब बसंत है आई17. हल्के-हल्के से हो बादल, खुला-खुला सा आकाशमिलकर उड़ाएं पतंग अमन कीआओ फैलाएं खुशियों का पैगामहैप्पी वसंत पंचमी18. बल बुद्धि विद्या देहु मोहि,सुनहु सरस्वती मातुराम सागर अधम कोआश्रय तू ही देदातुआप सभी को वसंत पंचमी की बधाईSaraswati Puja 2022 Shayaris, photos, images, wallpapers
19. लेके मौसम की बहार,आया बसंत ऋतू का त्योहार,आओ हम सब मिलके मनाये,दिल में भर के उमंग और प्यार,बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।हैप्पी बसंत पंचमी।20. सहस शील हृदय में भर दे,जीवन त्याग से भर दे,संयम सत्य स्नेह का वर दे,माँ सरस्वती आपके जीवन में उल्लास भर दे।बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।हैप्पी बसंत पंचमी।21. फूलों की वर्षा,शरद की फुहार,सूरज की किरणे,खुशियों की बहार,चन्दन की खुशबु,अपनों का प्यार,मुबारक हो आप सबको,बसंत पंचमी का त्योहार।हैप्पी बसंत पंचमी।22. उड़ जाते है रंग,किताबों में दबे फूलों के भी,आसमान में कई रंग,बिखराए जाती है एक पतंग,आपको बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।हैप्पी बसंत पंचमी।23. सरस्वती पूजा का ये प्यारा त्यौहार,जीवन में लायेगा ख़ुशी अपार,सरस्वती विराजे आपके दवार,शुभ कामना हमारी करे स्वीकार |वीणा लेकर हाथ मे, सरस्वती हो आपके साथ मे,मिले माँ का आशीर्वाद आपको हर दिन,हर बार हो मुबारक़ आपको सरस्वती पूजा का ये दिन.24. सहस शील हृदय में भर दे,जीवन त्याग से भर दे,संयम सत्य स्नेह का वर दे,माँ सरस्वती आपके जीवन में उल्लास भर दे।25. श्वेताम्बर हैं जिसकाहंस हैं वहाँ जिसकावीणा, पुराण जो धारण करतीऐसी माँ शारदा मैं करू तेरी भक्ति26. कमल पुष्प पर आसीत माँदेती ज्ञान का सागर माँकहती कीचड़ में भी कमल बनोअपने कर्मो से महान बनो27. सरस्वती पूजा का यह प्यारा त्यौहार,जीवन में खुशी लाएगा अपार,सरस्वती विराजे आपके द्वार,शुभकामनाएं हमारी करें स्वीकार।28. किताबों का साथ हो,पेन पर हाथ हो,कोपिया आपके पास हो,पढाई दिन रात हो,जिंदगी के हर इम्तिहान में आप पास हो।29. हो जाओ तैयार, माँ सरस्वती आने वाली है।सजा लो दरबार माँ सरस्वती आने वाली हैं।तन,मन और जीवन हो जायेगा पावन,माँ के कदमो की आहट सेगूँज उठेगा आँगन।
2. बसंत पंचमी फोटो
सरस्वती पूजा 2022 मां शारदे की पूजा 2022 में Saturday, 5 February के दिन मनाई जाएगी। सरस्वती पूजा प्रत्येक वर्ष शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को मनाया जाता है। तो इस बार भी Saturday, 5 February को पंचमी तिथि को। मां शारदे की पूजा हम सभी करेंगे। इस पर्व में पीले वस्तुओं की, वस्त्रों की, बहुत ही ज्यादा इंपोर्टेंट होता है।यानी कि भारत में और हमारे पड़ोसी देश नेपाल में। हमारे पूरे भारत वर्ष में ऋतूओं को 6 महीनों में बांटा जाता है। जिसमें की वसंत ऋतू लोगों को बहुत ही पसंद है। क्योंकि इस मौसम में फूलों का बहार आता है। खेतों में सरसों लहराती है। जो और गेहूं की बालियां खिलने लगती है।
3. बसंत पंचमी इमेज
और देखने में बड़े ही मनमोहक लगती हैं। आम के पेड़ पर, लीची के पेड़ पर, और बाग बगीचों में रंग बिरंगे फूल खिलते हैं। रंग बिरंगी तितलियां आती है। जो देखने योग्य होता है। देख के मन खुश हो जाता है। भवरें आते हैं रंग-बिरंगे भंवरे। जो फूलों पर मंडराते हैं। और इसी माघ महीने के पांचवें दिन पांचवी तिथि को वह जश्न मनाया जाता है। वह उल्लास मनाया जाता है। जिसे हम मां शारदे, मां सरस्वती की पूजा आराधना करके। विद्या की देवी को विद्या के लिए मानते हैं। इसी माघ महीने में विष्णु जी और कामदेव जी की पूजा होती है। या जो वसंत पंचमी होता है।
4. बसंत पंचमी वॉलपेपर
यह त्योहारों का आगमन का एक दिन है। कि पंचमी आ गई तो अब त्योहारों की बरसात होने वाली है। और हर त्यौहार मां शारदे के आगमन के बाद एक के बाद एक कुछ दिनों के बाद आते रहती है। और यही बसंत पंचमी है। जिसके बाद होली का त्यौहार भी आता है। और हम सभी होली के रंग में सराबोर हो जाते हैं। वसंत पंचमी में जो हम अबीर खेलते हैं। इसी दिन से हमारे यहां। हमारे भारतवर्ष में। बिहार में। होली का जश्न। होली का मौसम शुरू हो जाता है।
5. सरस्वती पूजा कथा
सृष्टि का प्रारंभिक काल था सृष्टि की रचना होने वाली थी। तो हमारे भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने खासतौर पर हम मनुष्य को। मनुष्य की योनि की रचना की पर ब्रह्मा जी संतुष्ट नहीं थे। और ब्रह्मा जी को यूं लगता था कि कुछ कमी सी है। संतुष्टि ना होने पर ब्रह्मा जी ने अपनी कमंडलु से जल निकाला।और अपनी ब्रह्मा शक्ति का आह्वान करके पृथ्वी पर जल को बिखेर दिया। जिससे एक शक्ति एक, अद्भुत शक्ति का जन्म हुआ। जिनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में वर मुद्रा में थे। और हाथों में पुस्तक और मालाएं थी। जैसे ही सरस्वती देवी ने वीणा का मधुर नाथ किया। वीणा को बजाया, संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई।
जो जल नदियों में बह रही थी उसमें कोलाहल प्राप्त हुआ उनमें आवाज आई। पवन की सनसनाहट होने लगी जो पवन चलती थी जिसमें कोई आवाज नहीं था। ज्ञान ना होने के कारण तो मां सरस्वती देवी के कृपा से उसमें सनसनाहट सी होने लगी। ब्रह्मा जी ने उस देवी को वीणा की देवी, सरस्वती नाम दिया। शारदा, वीणा वादिनी, वाग्देवी आदि बहुत से नामों से मां सरस्वती को पुकारा। हमारी मां सरस्वती विद्या और बुद्धि प्रदान करने वाली देवी हैं। सरस्वती माँ ने संगीत की उत्पत्ति करकेसंसार को संगीतमय किया है। और संसार में संगीत की देवी के नाम से मां सरस्वती को जाना जाता है। वसंत पंचमी को इनके जन्मोत्सव के रूप में हम जानते हैं । मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में वसंत पंचमी को मनाया जाता है। इस ऋतु में जो पंचमी का दिन होता है उस दिन को मां सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।ऋग्वेद में भगवती मां सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है कि.....
(प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।)यह परम माँ शारदे चेतना है। सरस्वती देवी के रूप में यह हमारी बुद्धि और प्रज्ञा तथा स्वभाव की संरक्षिका है। रक्षा करने वाली है हमारे अंदर जो विचार और मेधा शक्ति है। उसका आधार भगवती सरस्वती हैं। मां शारदे की समृद्धि और स्वरूप उनका रूप का वैभव अद्भुत है। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था। कि वसंत पंचमी के दिन उनकी आराधना (पूजा ) होगी। और उसी दिन से भारत के कई हिस्सों में बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती जो विद्या की देवी हैं।का पूजन उत्सव शुरू हुआ। और हर जगह मां सरस्वती की पूजा वसंत पंचमी से प्रारंभ हुई। इस दिन पतंगबाजी भी की जाती है। पतंग उड़ाई जाती है हमारे यहां पतंग उड़ाने का भी रिवाज है। यूं तो पतंग उड़ाने का रिवाज हजारों साल पूर्व में शुरू हुआ था और फिर कोरिया, जापान, में हुआ और फिर भारत में पहुंचा। यहां पतंगबाजी पर हम मां शारदे की पूजन उत्सव के दिन पतंग उड़ाते हैं। वसंत पंचमी के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा को आगे बढ़ाते चल रहे हैं।
6. सरस्वती पूजा का महत्व
वसंत ऋतु के आगमन से ही प्रकृति खिल उठता है मुस्कुरा उठता है। मानव क्या पशु-पक्षी ,पेड़-पौधे, सभी हर्षोल्लास में होते हैं। खुशी का माहौल होता है। हर दिन एक नया दिन होता है। सूर्योदय होता है तो यूं लगता है। कि नई चेतना प्रदान कर रही हैं। हर रोज सूर्योदय के बाद लगता है कि हमें कुछ अलग सेएनर्जी प्राप्त हुई है। अगले दिन को जीने की। वैसे तो माघ का पूरा महीना उत्साह देने वाला होता है। खुशी देने वाला होता है। लेकिन वसंत पंचमी का जो माघ का शुक्ल पक्ष है। पांचवा दिन। यह दिन हमारे भारतवर्ष को एक अलग ही दिन बनाती है।
इस दिन हम मां शारदे की पूजा करते हैं। मां सरस्वती की पूजा करते हैं। जिस दिन हम मां सरस्वती की जन्म दिवस के रूप में सरस्वती पूजा का आयोजन करते हैं। जो कि शिक्षा की देवी मां सरस्वती हैं। जिन्हें भारत के लोगों द्वारा वह प्रेम मिलता है। जो कला की देवी हैं मां सरस्वती। सैनिकों के लिए उनके अस्त्र शस्त्रों का जो महत्व है।व्यापारियों के लिए तराजू का वाट का। वही खाते और दीपावली का जो महत्व है। वही महत्व लेखकों का, कवियों का, गायकों का, विद्यार्थियों का, मां शारदे की वंदना मां शारदे से है। उनका वह सब महत्व जो अभी हमने आपको बताया मां शारदे जो विद्या की देवी है। उनकी वंदना हम इसीलिए करते हैं। पूरे वर्ष मां शारदे की कृपा हम पर बनी रहे।
7. सरस्वती पूजा जन्मदिवस
सरस्वती पूजा के दिन रामसिंह गुफा को भी याद किया जाता है जो कि उनका जन्म 1816 में वसंत पंचमी के दिन लुधियाना के भैणी गांव में हुआ था
राजा भोज का जन्म वसंत पंचमी के दिन ही हुआ था। यानी सरस्वती पूजा के दिन हुआ था। कहा जाता है कि राजा ने मां सरस्वती के पूजा वाला दिन। एक बहुत ही बड़ा उत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया। क्योंकि वसंत पंचमी के दिन ही राजा भोज का जन्म हुआ था। तो उन्होंने अपने जन्मदिवस को एक बड़ा प्रीतिभोज रखा जो कि 40 दिनों तक चला था।Saraswati Puja 2022 Shayaris, photos, images, wallpapers
और वसंत पंचमी के ही दिन हिंदी साहित्य की महाकवि जोकि अमर हैं। सूर्यकांत त्रिपाठी हमारे निराला जी। का जन्मदिन 22 फरवरी 1899 ईसवी। को हुआ था। हमारे निराला जी ऐसे कवि थे। ऐसे व्यक्ति थे जो अपना वस्त्र निर्धनों को दे दिया करते थे। दूसरों का पीड़ा उनसे देखा नहीं जाता था। कहा जाता है कि इस दिन जन्म लिए लोग बहुत ही आगे जाते हैं। वे लोग मां शारदे की कृपा पाए होते हैं। उन पर मां शारदे का आशीर्वाद होता है। मां सरस्वती का आशीर्वाद होता है।
8. सरस्वती पूजा की पौराणिक कथाएं
सरस्वती पूजा का जो पुराना कथा है। वह त्रेता युग से जुड़ा हुआ सबसे पहले रावण द्वारा सीता के हरण के बाद जब श्री राम जी उनकी खोज में दक्षिण दिशा की ओर बढ़े। उस समय परिस्तिथि ने राम जी को कई स्थानों पर भ्रमण कराया। उसमें से एक स्थान दण्डकारण्य है। यहां पर शबरी नाम की भीलनी रहती थी। जब श्री राम जी शबरी की कुटिया पर पहुंचे तो शबरी जी सुध बुध खो बैठी। और श्री राम जी को बेर खिलाने लगी। इस जूठे बेरों कि इस घटना को सारे कवियों ने अपने-अपने अंदाज में प्रस्तुत किया। दण्डकारण्य का वह भाग अभी भी मौजूद है।
जो कि गुजरात और मध्य प्रदेश में फैला हुआ है। यह स्थान गुजरात के डांग जिले में है। जहां पर शबरी मां का आश्रम हुआ करता था राम जी के समय में। वह दिन वसंत पंचमी का ही था। जब श्री राम जी वहां आए थे। उस क्षेत्र के जो वनवासी लोग हैं। वह आज भी वहां एक शिला को पूजते हैं। जिनके बारे में उनकी अपनी एक श्रद्धा है विश्वास है कि श्रीराम आकर यहीं बैठे थे। वहां शबरी माता का मंदिर भी बनाया गया है।
9. सरस्वती पूजा का ऐतिहासिक महत्व
बसंत पंचमी का दिन हमें पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है। जिन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद गौरी को 16 बार पराजित किया। और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया जिंदा छोड़ दिया। पर जब 17 वां वार वे पराजित हुए तो मोहम्मद गौरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ पाकिस्तान ले गया और उसकी आंखें फोड़ डाली। उसके बाद की घटना जो कि जन प्रसिद्ध है।हुआ यह कि मोहम्मद गौरी ने मृत्युदंड देने से पहले उसके शब्दभेदी बाण यानी कि पृथ्वीराज चौहान जी का वाण जिसका वह दीवाना था। का कमाल देखना चाहा उन्होंने कहा कि आप इस का कमाल दिखाइए। पृथ्वीराज के साथी कवि जो थे चंदबरदाई उनके परामर्श पर। गौरी ने ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मारकर संकेत किया। तभी चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया।इस जगह 2 पंक्तियों की एक कविता है मैं आपको सुनाता हूं......चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान ॥तो पृथ्वीराज चौहान ने इस बार भूल नहीं की उन्होंने तवे पर हुई। चोट को और चंदबरदाई जी ने संकेत किया और उनका अनुमान लगाकर। जो धनुष बाण मारा वह मोहम्मद गोरी के सीने में जाकर धंस गया। और उसके बाद चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने एक दूसरे के पेट में छुरा भोंक कर आत्म बलिदान दे दिया। यह घटना यह 1193 में हुई थी। यह घटना भी वसंत पंचमी के दिन ही हुई थी। इसके बाद एक और घटना हैSaraswati Puja 2022 Shayaris, photos, images, wallpapers
लाहौर के निवासी वीर हकीकत से ताल्लुक रखता है संबंध रखता है। एक दिन जब मुल्लाजी किसी काम से विद्यालय छोड़कर चले गए। और सभी बच्चे खेलने लगे। क्योंकि जब टीचर नहीं होगा तो स्टूडेंट को खेलेंगे। पर एक बालक वीर हकीकत पढ़ता रहा। उन्होंने पढ़ना नहीं छोड़ा जब दूसरे बच्चों ने उन्हें छेड़ा, तंग किया। और जब मन नहीं भरा तो दुर्गा मां की सौगंध देकर मुस्लिम बच्चों ने मां दुर्गा की मजाक उड़ाई। तो हकीकत ने कहा कि यदि मैं तुम्हारी बीवी फातिमा के बारेमें कुछ कहूं तो तुम्हें कैसा लगेगा। बस फिर उसके बाद क्या था मुल्लाजी के आते ही उन शरारती बच्चों ने शिकायत कर दी। की वीर हकीकत ने बीबी फातिमा को काली दी थी। और फिर उसके बाद बात बढ़ गई। और बात पहुंच गई काजी साहब तक। मुस्लिम शासन में एक निर्णय हुआ जो कि निर्णय मुस्लिम पक्ष में ही गया। और उसके बाद यह आदेश हुआ की हकीकत सिंह मुसलमान बन जाए। अन्यथा उसे दंड दिया जाएगा। हकीकत ने ये स्वीकार नहीं किया।
उसके बाद हुआ यह कि उसे तलवार से काट दिया जाये ऐसा आदेश दिया गया।पर बोला जाता है कि वीर हकीकत सिंह का भोला सम्मुख देखकर जल्लाद के हाथ से तलवार छूट गई। तो हकीकत सिंह ने तलवार उठा कर उस जल्लाद के हाथ में दिया। और कहा कि जब मैं बच्चा हो कर अपने धर्म का पालन कर रहा हूं। तो तुम बड़े होकर अपने धर्म से क्यों पीछे हट रहे हो। तो इसके बाद जल्लाद ने दिल मजबूत कर-कर तलवार चला दी।लेकिन उस वीर बालक का सिर धरती पर नहीं गिरा। ऐसा बोला जाता है कि। उनका सिर आकाश मार्ग से स्वर्ग में चला गया। यह घटना जब हुई थी वह दिन वसंत पंचमी का था। 23 फरवरी 1734. क्योंकि पाकिस्तान मुस्लिम देश है। तो हकीकत के आकाश में सिर जाने की घटना की याद में वहां वसंत पंचमी पर पतंग उड़ाई जाती है।और उस दिन पतंगबाजी का जो सबसे ज्यादा जोर शोर देखा जाता है। वह लाहौर में देखा जाता है। और वहां पर लोग पतंग उड़ाते हैं। क्योंकि उस दिन वीर हकीकत सिंह का शीश आकाश के मार्ग होकर स्वर्ग तक गया था।10. मां शारदे मां सरस्वती की पूजा कैसे की जाती है
मां शारदे की पूजा प्रत्येक वर्ष मनाई जाती है। जय हिंदुओं का प्रसिद्ध त्योहार है। मां सरस्वती विद्या की देवी कहीं जाती है। और छात्र-छात्राओं से मां सरस्वती का अधिक लगाव है। क्योंकि मां शारदे विद्या देती हैं। मां शारदे की पूजा प्रत्येक वर्ष बड़े हर्ष उल्लास के साथ।हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने की पांचवें दिन अर्थात पंचमी पर मनाया जाता है। यह त्योहार विशेष रुप से भारत देश के पश्चिमोत्तर इलाके में यानी कि बांग्लादेश, नेपाल, बिहार आदि में मनाई जाती है। मां शारदे विद्या की देवी मानी जाती हैं। इसीलिए सरस्वती पूजा प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाता है।
और मां शारदे के सम्मान में यह पूजा प्रत्येक वर्ष होता है। जब भी सरस्वती पूजा का आयोजन होने वाला होता है। जब भी वसंत पंचमी आने वाली होती है। तो छात्र-छात्राओं के मन में खुशी उमंग देखने को मिलता है। जो आप कभी कहीं किसी भी त्योहार में नहीं देख पाएंगे। पूजा में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित की जाती है।मंडप सजाई जाती है। मां शारदे की प्रतिमा विशेषकर विद्यालयों में। जहां भी ज्ञान का आदान-प्रदान होता है अर्थात जहां विद्या की पूजा होती है। वहां पर मां शारदे की प्रतिमा स्थापित की जाती है। और बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मां शारदे की पूजा की जाती है।Saraswati Puja 2022 Shayaris, photos, images, wallpapers
मां सरस्वती की पूजा विद्यालयों में तो होता ही है। पर चौक चौराहों पर भी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। जो भी लोग पढ़ाई से जुड़े हैं। या बढ़ाई को छोड़ चुके हैं। या जिनको पढ़ाई में रुचि है। या जिन्होंने पढ़ाई पूरा नहीं किया किसी भी कारणवश। वह पढ़ लिख नहीं पाए उनका भी लगाव बहुत ही ज्यादा मां सरस्वती की पूजा से होता है। वह लोग भी मांसरस्वती की पूजा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। और मां शारदे की पूजा करते हैं। मां सरस्वती की पूजा में जब विद्यार्थियों को देखा जाए तो वह बहुत ही खुश होते हैं। वह लोग रात-रात भर जग कर। दो चार दिन पहले से ही मंडप बनाते हैं। उस स्थान को जहां पर कि वह मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करने वाले होते हैं। उसे सजाते हैं। गाना बजाना होता है।
मैंने भी रात-रात भर जग कर मां शारदे की, मां सरस्वती की पूजा, अर्चना की है। मैं एक टीचर रह चुका हूं। तो मैंने भी अपने कोचिंग संस्थान में। मां सरस्वती की पूजा अर्चना की और आज भी करता हूं। रातों को जगजग के खुद से सजाता हूं मंडप। क्योंकि लोगों को सजाने के लिए पैसे देना और सजावट करवाना थोड़ा सा अजीब लगता है। हम ऐसा कर सकते हैं।पर खुद से सब कुछ करना अच्छा लगता है। हम आपको बता नहीं सकते बहुत ही खुशी महसूस करते हैं। अपने आपको मां शारदे की पूजा अर्चना की सामग्री जुटाने में पूजा अर्चना करने में। तो इसी तरह दोस्तों हम लोगों के यहाँ सरस्वती पूजा होता है। उससे पहले मां सरस्वती की पूजा के लिए सजावट करते हैं। और जिस दिन सरस्वती पूजा होता है।
उस दिन सुबह सवेरे जग कर फूल वगैरह लाने जाते हैं। और मां सरस्वती की पूजा में जुट जाते हैं। पंडित जी आते हैं और मंत्र पढ़ते हैं। और मां सरस्वती की पूजा करते हैं। उसके बाद सभी विद्यार्थी गान वहां पर खड़े होते हैं। पुष्प अर्पण करते हैं मंत्र सहित। और हम सभी बहुत ही खुशी आनंदित महसूस करते हैं। उस समय और मां शारदे, मां सरस्वती से यह कामना करते हैं।या मांगते हैं कि हमें हर वर्ष सफलता मिले पढ़ाई के क्षेत्र में। ज्ञान बुद्धि मांगते हैं मां सरस्वती की पूजा कर के। हम सभी प्रसाद वितरण करते हैं। कुछ लोग वहां बैठते हैं। रात भर जागरण करते हैं। और मां शारदे की असीम कृपा हम पर बनी रहे इसके लिए जहां तक हो पाता है हम लोग उसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
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और मां शारदे की प्रतिमा के सामने रात भर जगराता करते हैं। और सुबह पंडित जी आते हैं। और पूजा विसर्जन के समय भी बहुत ही धूमधाम से मां शारदे की प्रतिमा को। गांव घर में जो रोड होते हैं। उस पर जुलूस निकालते हैं। और हम सभी साथ में मां की प्रतिमा को लेकर आगे आगे चलते हैं। और पीछे पीछे डीजे बैंड बाजा होता है।हम सभी नाचते हैं। गाते हैं। और परिचित नदी या पोखर की ओर जाते हैं। जहां पर मां शारदे की प्रतिमा को विसर्जित करते हैं। और अबीर खेलते हैं, पटाखा जलाते, हैं। बहुत ही खुशी का माहौल होता है। मैं बयां नहीं कर सकता कि हम कितना खुश होते हैं। हमारे कुछ झलकियां एक वीडियो के जरिए मैं आपको इस आर्टिकल में ऐड कर दूंगा।
जिसको कि आप देखकर बहुत ही खुश होंगे। उस पूजा उत्सव में हम लोगों ने किस प्रकार मां शारदे की प्रतिमा विसर्जन की थी। तो दोस्तों हमारा यह आर्टिकल। इस आर्टिकल में आपको मां शारदे की हर प्रकार की बातें जो माँ सरस्वती से जुड़ी है वह मिलेंगी।और मां शारदे, मां सरस्वती पूजा 2022 की जो तस्वीरें हैं हमने एडिट करके। आप लोगों के लिए लाया है। जिसे कि बहुत ही सुंदर शायरी से सजाया गया है। आप अपने दोस्तों के साथ फेसबुक पर, व्हाट्सएप पर, पिंटरेस्ट पर, इंस्टाग्राम, पर शेयर करेंगे। थैंक यू।
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