Skip to content Skip to sidebar Skip to footer

Holi story | Holi festival essay | Holi festival India | new Holi 2019 | history of Holi | Holi festival of colors | Holi powder | Holi Photo, image, wallpaper

Holi story | Holi festival essay | Holi festival India | new Holi 2019 | history of Holi | Holi festival of colors | Holi powder | Holi Photo, image, wallpaper

Holi story | Holi festival essay | Holi festival India.उतासनी पुर्णिमा फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष के दिन पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस दिन होलिका दहन होता है भारत वर्ष के हर क्षेत्र में होलिका का दहन किया जाता है। हमारे भारतवर्ष में होलिका दहन की बहुत सारी कथाएं हैं जिनमें से सारी कथाओं का आज मैं वर्णन करूंगा। इस लेख में एक कथा ऐसी है प्राचीन काल में ढूंढी नाम की एक राक्षसी हुआ करती थी। जो बराही पराक्रमी शक्तिशाली थे उसको लोगों को परेशान करना बहुत ही। अच्छा लगता था हमेशा लोगों को परेशान किया करते थी। 

वह जगह जगह घूमकर लोगों को परेशान किया करते हैं। लोगों को परेशान करना उसके जीवन का कार्य बस यही कार्य हो। उसके जीवन का कि लोगों को कैसे परेशान करना है। लोगों को कैसे तंग करना है। लोगों को। कैसे अपनी जिंदगी नहीं जी ने देनी है ढूंढी इसलिए लोगों को परेशान किया करते थे। क्योंकि उसे महादेव जी से या वरदान प्राप्त था। कि तुम तब तक नहीं मरोगी जब तक कोई बालक तुम्हारा मजाक ना उड़ाया इसलिए। मौत से बेखबर बेखौफ होकर ढूंढी लोगों को परेशान किया करती थी। 

Holi story | Holi festival essay | Holi festival India | new Holi 2019 | history of Holi | Holi festival of colors | Holi powder | Holi Photo, image, wallpaper

ढूंढी से बहुत ही ज्यादा परेशान थे लोगों ने बहुत यातनाएं की रंडी इससे परेशानी खत्म हो किसी तरह पर ऐसा ना हुआ क्योंकि क्योंकि उसे शिव जी से वरदान प्राप्त था। यह बात ढूंढी भी जानती थी। कि लोग मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पा रहे इसलिए ढूंढी भी बेखबर होकर के लोगों को परेशान किया करते थे। पर एक दिन हुआ है ऐसा जो कुछ बालकों ने ढूंढ ही का मजाक उड़ाया और ढूंढी का मजाक उड़ाते हैं। ढूंढी जलकर राख हो सांप का घर आ तो एक न एक दिन फटना ही होता है।  

कहा जाता है कि इसी दिन से होलिका दहन के दिन हंसी मजाक करने की परंपरा है। पुराण काल में शिवजी का विवाह दक्ष प्रजापति की कन्या सती से हुआ था। कुछ दिन बाद शिव जी के ससुर जी को लगा किसी भी उनका मान सम्मान नहीं करते। उनका इज्जत नहीं करते उनको पहचानते नहीं कि वह भी अपने आप में कुछ हैं। इसी कारणवश दक्ष प्रजापति ने अपने बेटी और दामाद से रिश्ता तोड़ लिया। 

Holi story | Holi festival essay | Holi festival India | new Holi 2019 | history of Holi | Holi festival of colors | Holi powder | Holi Photo, image, wallpaper

और मन ही मन क्रोधित रहते थे अपनी बेटी और दामाद से इसलिए। उन्होंने एक दिन अपने दामाद को नीचा दिखाने के लिए एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया और उस यज्ञ में सारे देवी और देवताओं को आमंत्रित किया। और सभी देवी और देवताओं को यह कहा गया था। कि उनका जो वाहन होगा वह कैलाश पर्वत के ऊपर से होता हुआ है ताकि शिव जी को एहसास की उनके यहां यज्ञ का आयोजन है। और उनको बुलाया भी नहीं गया है और सभी लोग उनके बारे में बात भी करें की सुर जी के यहां यज्ञ का आयोजन है 

Holi story | Holi festival essay | Holi festival India | new Holi 2019 | history of Holi | Holi festival of colors | Holi powder | Holi Photo, image, wallpaper

और उन्हें नहीं बुलाया गया तो ऐसा देख सती ने सोचा कि पिता जी के यहां का आयोजन है मुझे जाना चाहिए शिव जी ने उन्हें मना भी किया कि हमें आमंत्रण नहीं मिला है। हमें नहीं जाना चाहिए प्रति सूची कि मैं जाती हूं। और इन दोनों के बीच के मतभेदों को दूर करूंगी अति वहां गई थी। दक्ष प्रजापति अपनी बेटी को अपनी ओर आते हुए देख अपना मुंह फेर लिया। सती को बड़ा ही क्रोध आया और सती यह भी देखा कि यज्ञ के समीप सारे देवी देवताओं के लिए आसन है। पर उनके पति महादेव के लिए कोई स्थान नहीं  महादेव जी के लिए कोई स्थान नहीं था। 

जो विश्व के कल्याण के लिए स्वयं विषपान किए हैं ऐसे चरित्र के व्यक्ति ऐसी महादेव का उस यज्ञ में कोई अस्थान ना देख कर। गुस्सा आया ऐसा देख उन्हें बुरा ही क्रोध आया और उन्होंने। फैसला किया कि वह अपना शरीर उस यज्ञ में त्याग देंगे। अगर उनका शरीर रहेगा तो कोई ना कोई उनको दक्ष प्रजापति की पुत्री कहकर पुकारेगा। और उन्हें उनका नाम नहीं चाहिए इसलिए उन्होंने खुद को यज्ञ में झोंक दिया और अपना शरीर दिया सती का शरीर जल कर भस्म हुआ।

 महादेव बड़ा ही कुरूप दुबे और महादेव जी ने उनके यज्ञ को ध्वंस कर दिया। कुछ दिन बाद कुछ सती हिमालय के यहां उनकी पुत्री के रूप में अवतरित हुई। जो पार्वती के नाम से जानी गई उनके मन में यही संकल्प था कि उनका पति केवल महादेव जी ही होंगे। पार्वती जी ने तपस्या की महादेव को प्रसन्न करने के लिए। महादेव जी को प्रसन्न करने के लिए पार्वती जी से जो भी हो सका। उन्होंने किया और महादेव जी भी यही चाहते थे क्योंकि।

Holi story | Holi festival essay | Holi festival India | new Holi 2019 | history of Holi | Holi festival of colors | Holi powder | Holi Photo, image, wallpaper

Holi story | Holi festival essay | Holi festival India | new Holi 2019 | history of Holi | Holi festival of colors | Holi powder | Holi Photo, image, wallpaper

शिव और पार्वती से जो संतान होने वाली थी उसी से तारकासुर का वध होना निश्चित। इसलिए देवताओं ने भगवान कामदेव का सहारा लिया। और बड़े ही प्लानिंग के साथ यह तय किया गया की शिव के सामने जब पार्वती जी आए। तू ने स्वीकार कर लिया जाए और देवताओं का प्रयत्न सफल हुआ शिव जी की सेवा हेतु पार्वती जी उनके यहां पहुंची दो। भगवान कामदेव ने शिवजी पर अपने पांचों वनों का प्रहार किया 

और इसी कारण शिव जी का तीसरा आँख खुला। और  काम देव भगवान जलकर भस्म हो गए इसी कारण से होलिका दहन मनाई जाती है। यह भी एक कथा है होलिका दहन का। जो अत्यंत प्रसिद्ध है। और ज्यादातर सभी लोग होलिका दहन के पीछे यह कहानी का महत्व जानते हिरण्यकशिपु प्राचीन काल में अत्यधिक बलशाली आसुरी राज संयुक्त राजा ने ऐसी घोषणा कर दी थी। कि मेरी पूजा केवल मेरी ही पूजा करेगी ना किसी भगवान की पूजा करेगी ना विष्णु को मानेगी दोष की पूजा अर्चना करें। करना है तू मेरा करें यदि किसी दोस्ती करनी है तो वह मेरी करें यज्ञ से परमात्मा कोई भगवान के नाम से यज्ञ नहीं होगा

ऐसा आदेश था और यदि कोई उसका आदेश नहीं मानता। तो उसे बहुत ही दंड भयंकर दंड उसे मिलता था कि दूसरे लोग उससे डर जाते जाते तूने। यह लगा कि परमात्मा की पूजा जो होती थी वह सब लोग चोरी चुप चुप चुप के किसी को पता ना चले इस तरह से करने लगे और अत्यंत प्रभाव से प्रजा में अपात्र पात्र हुआ ब्लू घोड़ा भी करती थी। उसका एड्रेस भी करते थे लेकिन डरते थे इसलिए सामने कोई कुछ नहीं बोल पाते थे। इसी हीरोइन के साथ संवाद ऐसा और एक पुत्र था उनका प्रहलाद यह प्रह्लाद जन्म से ही भगवान विष्णु का परम भक्त भगवान के गीत गाना उनकी स्तुति करते। रहना उनका नाम स्मरण कर ना मानो यह उसके जीवन में 

 Holi festival of colors | Holi powder | Holi Photo, image, wallpaper

अधिक महत्वपूर्ण और। अत्यधिक श्रेष्ठ बात मानी जाती थी। केवल परमपिता परमात्मा की भक्ति ही बची हुई उसके मन में भक्ति थी। बल्कि अपने ही अपने मित्र से जो स्नेही थे उन सभी को भी वे परमात्मा की भक्ति की और अत्यंत लालायित करते। और उनका महत्व समझा श्रीहरी परम पिता परमात्मा की भक्ति से ही मन को शांति प्रेम आनंद प्राप्त होता है। अपने ही अपने मित्रों को भी बात समझाते और उसी प्रकार से उनसे भी नाम स्मरण और स्तुति करवा दे। यह कहानी यह बातें धीरे धीरे यही बसी हुई न केवल उसके मन में यह भक्ति थी बल्कि अपने जो स्नेही जन अपने सूरत मित्र से समक्ष जो। स्नेही थे उन सभी को भी वे परमात्मा की भक्ति की और अत्यंत लालायित करते और उनका महत्व समझा। 

श्री हरीश परम पिता परमात्मा की भक्ति से ही मन को शांति प्रेम आनंद प्राप्त होता है। उसके मन में यह भक्ति थी बल्कि अपने जो स्नेही जन अपने सूरत मित्र से समक्ष जो स्नेही थे उन सभी को भी वे परमात्मा की भक्ति की और अत्यंत लालायित करते। और उनका महत्व समझा श्रीहरी परम पिता परमात्मा की भक्ति से ही मन को शांति प्रेम आनंद प्राप्त होता है अपने ही। अपने मित्रों को भी बात समझाते और उसी प्रकार से उनसे भी नाम स्मरण। और स्तुति करवा दे यह कहानी यह बातें धीरे धीरे धीरे कानों में आने लगी अत्यंत युद्ध हुआ यह असर सोचने लगा कि जो मेरी बात को मानता है लेकिन मेरे ही घर में मेरा पुत्र ही इसका विरोध करता है। ऐसे पुत्र को बहुत ही कड़ा दंड दूंगा यह सोच उसने कभी 

उसे विषपान करवाया कभी उसे पर्वत पर से नीचे धकेल आ गया। कभी समंदर में डुबो याद आए तो कभी किसी ना किसी प्रकार के कष्ट और यातना मैं उसे उसे कि जीवन में अधिक महत्वपूर्ण। और अत्यधिक श्रेष्ठ बात मानी जाती थी रग रग में नस नस में केवल परमपिता परमात्मा की भक्ति ही बची हुई न केवल उसके मन में यह भक्ति थी। बल्कि अपने ही अपने सूरत मित्र के समक्ष जो स्नेही थे उन सभी को भी वे परमात्मा की भक्ति की और। अत्यंत लालायित करते और उनका महत्व समझा श्रीहरी परम पिता परमात्मा की भक्ति से ही मन को शांति प्रेम आनंद प्राप्त होता है। अपने ही अपने मित्रों को भी बात समझाते 

Holi powder | Holi Photo, image, wallpaper

और उसी प्रकार से उनसे भी नाम स्मरण और स्तुति करवा दे। यह कहानी यह बातें धीरे धीरे अत्यंत हुआ यह असर कि जो मेरी बात को मानता है लेकिन मेरे ही घर में मेरा पुत्र ही इसका विरोध करता है। ऐसे पुत्र को बहुत ही कड़ा दंड दूंगा यह सोच उसने कभी उसे विषपान करवाया कभी। उसे पर्वत से नीचे धकेल आ गया कभी समंदर में डुबो याद आया हिरण्यकशिपु ने कहा कि मैंने बहुत से प्रयत्न किए लेकिन पता नहीं यह लड़का कैसे बन जाता है। कौन उसका रक्षण करता है और उसे बचाता है मैं तो इस समस्या से छुटकारा मेरा कैसा हूं मैं बस यही चिंता में मग्न हूं और होली का हथकड़ी के।

 भैया क्या बात है आपको इतना भी याद नहीं कि आपकी बहन को परमात्मा का वरदान मिला हुआ है तब हिरण्यकशिपु को याद आए तो सही है। अपने भाई को कहा कि देखिए अब ऐसा कीजिए कि आप अग्नि प्रज्वलित कीजिए और रात को मैं अग्नि के अंदर बैठ जाऊंगा। दीजिएगा मेरी गोदी में बैठे तारे वहां पर डाल दीजिए इतने सारे लकड़ी वहां पर डाल दीजिए उसमें बस में हो जाए क्योंकि मुझे तो आ नहीं सकते जैसे यह उपाय सुना। बहुत ही प्रसन्न हुआ मानुष सच हुई होली का बस बहुत हो गई प्रह्लाद जी को बिल्कुल कुछ भी नहीं हुआ। सुरक्षित जब लौटे हैं।

Khawaspur
Khawaspur I am a freelancer web designer, I can give you a WordPress website by designing a professional website and if you want to see what website I design, click on this link. click here website demo

Post a Comment for "Holi story | Holi festival essay | Holi festival India | new Holi 2019 | history of Holi | Holi festival of colors | Holi powder | Holi Photo, image, wallpaper"